रामगढ़ बाँध कृत्रिम बारिश परियोजना – शुरुआत से आज तक की पूरी कहानी ( Ramgarh Artificial rain News ) by- b.k. samotya sir
रामगढ़ बाँध कृत्रिम बारिश परियोजना – शुरुआत से आज तक की पूरी कहानी
1. पृष्ठभूमि (Background)
रामगढ़ बाँध, जयपुर की जलापूर्ति का एक अहम स्रोत, पिछले करीब 20 वर्षों से सूखा पड़ा है। जल संकट लगातार बढ़ रहा था, और इसीलिए राजस्थान सरकार ने इसे पुनर्जीवित करने के लिए कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) परियोजना की योजना बनाई।
परियोजना का मुख्य उद्देश्य Cloud Seeding तकनीक से बादलों में नमी बढ़ाकर बारिश कराना था।
2. परियोजना की शुरुआत (Project Initiation)
घोषणा: जुलाई 2025 में राजस्थान सरकार ने घोषणा की कि रामगढ़ बाँध में ड्रोन और AI तकनीक के जरिए भारत का पहला ड्रोन-आधारित कृत्रिम बारिश प्रयोग होगा।
तकनीकी भागीदार: अमेरिकी-बेंगलुरु आधारित कंपनी GenX AI को यह जिम्मेदारी सौंपी गई।
संबंधित विभाग: कृषि विभाग, जल संसाधन विभाग, IMD, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला प्रशासन और DGCA।
3. तकनीक का चयन (Technology Chosen)
Cloud Seeding Process: बादलों में सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड का छिड़काव करके नमी को संघनित करना।
ड्रोन + AI सिस्टम: पारंपरिक हवाई जहाज की जगह ड्रोन का इस्तेमाल, ताकि कम लागत और अधिक सटीकता से काम हो।
लक्ष्य: रामगढ़ बाँध को बारिश से भरना और शहर के जल संकट को कम करना।
4. पहली तारीख और बदलाव (First Schedule and Delay)
पहली निर्धारित तिथि: 31 जुलाई 2025।
कारण बदलने का: मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के चलते इसे 12 अगस्त 2025 तक टाल दिया गया।
इस बीच, सभी विभागों से No Objection Certificate (NOC) लेने की प्रक्रिया चली।
5. 12 अगस्त 2025 – पहला ट्रायल (First Trial)
स्थान: रामगढ़ बाँध क्षेत्र, जयपुर।
संख्या: लगभग 60 ड्रोन का इस्तेमाल।
जन सहभागिता: स्थानीय लोगों और मीडिया को भी मौके पर आमंत्रित किया गया।
लक्ष्य: बादलों की परत में पहुंचकर क्लाउड सीडिंग करना और बाँध क्षेत्र में बारिश कराना।
6. तकनीकी बाधाएँ (Technical Hurdles)
DGCA से मिली अनुमति के तहत ड्रोन को केवल 400 फीट ऊँचाई तक उड़ान की मंजूरी थी।
असल में बारिश योग्य बादल 8,000 से 10,000 फीट की ऊँचाई पर थे, जहाँ तक ड्रोन नहीं पहुँच पाए।
नतीजतन, पहला प्रयास असफल रहा।
7. पहले दिन का हादसा (Accident on First Day)
पहले ही दिन एक ड्रोन क्रैश हो गया, जिससे 2 करोड़ रुपये की योजना पर सवाल उठे।
तकनीकी टीम ने इसे "इंजन फेल्योर" और ऊँचाई सीमा की वजह से उत्पन्न समस्या बताया।
8. मौजूदा स्थिति (Current Status)
परियोजना की पहली कोशिश असफल होने के बावजूद, सरकार ने इसे टेक्निकल लर्निंग का हिस्सा मानते हुए आगे सुधार करने का संकेत दिया है।
अब योजना है कि अगले प्रयास में हाई-एल्टीट्यूड ड्रोन और DGCA से विशेष अनुमति लेकर बादलों की वास्तविक ऊँचाई तक पहुँचा जाए।
9. निष्कर्ष (Conclusion)
रामगढ़ बाँध कृत्रिम बारिश परियोजना भारत में जल प्रबंधन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक प्रयोग है।
भले ही पहला ट्रायल नाकाम रहा, लेकिन इससे तकनीकी सीमाओं और व्यवहारिक चुनौतियों के बारे में महत्वपूर्ण सीख मिली है।
भविष्य में अगर ऊँचाई, मौसम और उपकरणों से जुड़ी समस्या
ओं को सुलझा लिया जाए, तो यह परियोजना राजस्थान में सूखे से निपटने का कारगर उपाय साबित हो सकती है।
Note :- कैसा लगा? अपने सुझाव और विचार कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।"
Thankyou
By :- B.K. SAMOTYA SIR
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